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या कुंदेंदु तुषार हार धवला या शुभ्र वृस्तावता

या कुंदेंदु तुषार हार धवला या शुभ्र वृस्तावता । या वीणा वर दण्ड मंडित करा या श्वेत पद्मसना ।। या ब्रह्माच्युत्त शंकर: प्रभृतिर्भि देवै सदा वन्दिता । सा माम पातु सरस्वती भगवती नि:शेष जाड्या पहा ॥१॥ भावार्थ : जो विधा की देवी भगवती सरस्वती कुंद के फूल चंद्रमा हिमराशी और मोती के हार की तरह श्वेत वर्ण की है और जो श्वेत वस्त्र धारण करती है, जिनके हाथ में वीणा-दंड शोभाग्य है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर अपना आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा,विष्णु एंव शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित है वही सम्पूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर क्र देने वाली माँ सरस्वती आप हमारी रक्षा करें आँख के अंधे को दुनिया नहीं दिखती , काम के अंधे को विवेक नहीं दिखता , मद के अंधे को अपने से श्रेष्ठ नहीं दिखता और स्वार्थी को कहीं भी दोष नहीं दिखता। —  चाणक्य

जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को, मिल जाये तरुवर कि छाया

जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को , मिल जाये तरुवर कि छाया ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है , मैं जबसे शरण तेरी आया , मेरे राम सूरज की गर्मी से... भटका हुआ मेरा मन था कोई मिल ना रहा था सहारा लहरों से लड़ती हुई नाव को जैसे मिल ना रहा हो किनारा मिल ना रहा हो किनारा... उस लड़खड़ाती हुई नाव को जो , किसी ने किनारा दिखाया ऐसा ही सुख ... शीतल बने आग चंदन के जैसी राघव कृपा हो जो तेरी उजियाली पूनम की हो जाएं रातें जो थीं अमावस अंधेरी जो थीं अमावस अंधेरी... युग-युग से प्यासी मरुभूमि ने जैसे सावन का संदेस पाया ऐसा ही सुख ... जिस राह की मंज़िल तेरा मिलन हो उस पर कदम मैं बढ़ाऊं फूलों में खारों में , पतझड़ बहारों में मैं न कभी डगमगाऊं मैं न कभी डगमगाऊं... पानी के प्यासे को तक़दीर ने जैसे जी भर के अमृत पिलाया ऐसा ही सुख ... जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को , मिल जाये तरुवर कि छाया ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है , मैं जबसे शरण तेरी आया , मेरे राम

कोई पिछले जनम के अच्छे करम, मुझे बाबा तेरा प्यार मिला

कोई पिछले जनम के अच्छे करम, मुझे बाबा तेरा प्यार मिला-4 जहाँ सारी दुनिया झुकती है-2 मुझे वो आली दरबार मिला दरबार मिला दरबार मिला कोई पिछले जनम के अच्छे करम, मुझे बाबा तेरा प्यार मिला-2 जग के झूटे नाते देखे देखा ना सच्चा प्यार कहीं-2 जहाँ दिल को आकर चैन मिले है वो आली दरबार वहीँ-2 सतगुरु मिल गया मुझको एसा-2 कोई हुआ ना होगा इस जैसा जहाँ सारी दुनिया झुकती है मुझे वो आली दरबार मिला दरबार मिला दरबार मिला कोई पिछले जनम के अच्छे करम, मुझे बाबा तेरा प्यार मिला-2 कोई ओर हमे अब क्या देगा इस दर से जो मेने पाया है-2 जिसको तरसे जन्नत सारी मेरे सिर पर तो वो साया है-2 तब रूप धार के आया है-2 उनमे रब का दीदार मिला जहाँ सारी दुनिया झुकती है मुझे वो आली दरबार मिला दरबार मिला दरबार मिला कोई पिछले जनम के अच्छे करम, मुझे बाबा तेरा प्यार मिला-2 श्रद्धा से जो तेरे दर बैठे उसने ही सब कुछ पाया है-2 धन दौलत चरणों की दासी संसार इन्ही की माया है-2 इनसे तो इनको ही मांगो-2 ये मिले तो सब संसार मिला जहाँ सारी दुनिया झुकती है मुझे वो आली दरबार मिला दरबार मिला दरबार मिला कोई पिछले ...

तुम्हे शांति दे परमात्मा

तुम्हे शांति दे परमात्मा ,   श्रद्धा सुमन अर्पित करे हम ,   हे दिवंगत आत्मा-2 तुम्हे शांति दे परमात्मा तुम   राग द्वेष से मुक्त हो ,   और मुक्त हो हर क्लेश से-2 जाना है सबको एक दिन ,   मानव कलेवर वेश से-2 तुम्हे शांति दे परमात्मा............................... तुम दिव्य देह धरो कहीं , और दिव्य धाम में वासना- 2 तुम्हे ना ( सुधा)    का मान हो ,   और ना पिपासा लेश भी-2 तुम्हे शांति दे परमात्मा............................... हम   याद करते हैं तुम्हे ,   और याद करते लोग भी-2 तुम मुक्त हो और विरक्त हो ,   ना हो तुम्हे यम यातना-2 तुम्हे शांति दे परमात्मा ,   श्रद्धा सुमन अर्पित करे हम ,   हे दिवंगत आत्मा-2 तुम्हे शांति दे परमात्मा...............................