करलो करलो चरों धाम


तीरथ की महिमा बड़ी,मन को मिले प्रकाश
भक्ति और श्रद्धा बढे, आस बने विशाल
करलो करलो चरों धाम, मिलेंगे कृष्ण मिलेंगे राम-2
जीवन सफल उसी का समझो, जिसने किया ये काम
करलो करलो चरों धाम, मिलेंगे कृष्ण मिलेंगे राम-2

बसा हिमालय पर उत्तर में, पावन बद्रीनाथ
नारायण ने यहीं तपस्या, की थी नर के साथ
हे नाथ नारायण वासुदेव हे नाथ नारायण वासुदेव-4
बसा...................नारायण...................
सागर मंथन की देवों में, यही हुई थी बात
लिया मोहिनी रूप दिया, अमृत देवों के हाथ
सच की जय को ही कहते हैं देवासुर संग्राम
करलो….........…......…मिलेंगे..............

दक्षिण में सागर तट पर रामेश्वर, तीर्थ महान
राम चंद्र ने यहाँ किया शिव, महिमा का गुणगान
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय-4
दक्षिण....................राम चंद्र........................
यहीं विजय के लिए राम ने, किया शक्ति का आव्हान
देवी हुई प्रसन्न दे दिया, मनचाहा वरदान
बिगड़े काम बनाये प्रभु जी भक्त भजे हरिनाम
करलो….........…......…मिलेंगे..............

जगन्नाथ का धाम बसा, पूरब में सागर तट पर
स्वयं कृष्ण की इच्छा से हे, मन्दिर बना मनोहर
जगन्नाथ कल्याण वे जगन्नाथ साई राम वे-4
जगन्नाथ………………. स्वयं……………………………..
कृष्ण और बलराम शुभद्रा, की झांकी अति सुंदर
मिलकर सब खींचते देव रथ, श्रद्धा से नारी नर
माथे धुल चढ़ाओ इस धरती को करो प्रणाम
करलो….........…......…मिलेंगे..............

हे/ पश्चिम तट की पूरी द्वारका, बनी स्वर्ग का द्वार
रचना है ये लिलाधर की, लीला का विस्तार
पश्चिम....................रचना.......................
वंशी चक्र सुदर्शन जिसके, दोनों थे सृंगार
जिसकी गीता का आभारी, हे सारा संसार
धरती को हे स्वर्ग बनाते,मिलकर चारों धाम
करलो….........…......…मिलेंगे..............

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