जिसने चरों धाम कर लिए मुक्ति मिल गई जीवन में दया धर्म उपकार खिल उठे उसके मन के आँगन में
संगीत............................१२३ जिसने चरों धाम कर लिए मुक्ति मिल गई जीवन में दया धर्म उपकार खिल उठे उसके मन के आँगन में जिसने चरों धाम कर लिए मुक्ति मिल गई जीवन में दया धर्म उपकार खिल उठे उसके मन के आँगन में तीरथ की महिमा गाती है भक्तों तुम्हे पुकारती चार धाम की आरती चार धाम की आरती चार धाम की आरती चार धाम की आरती संगीत............................१२३ बद्रीनाथ बसे आँखों में रामेश्वर उसके मन में बद्रीनाथ बसे आँखों में रामेश्वर उसके मन में जगन्नाथ द्वारकाधीश के दर्शन होते कण कण में जगन्नाथ द्वारकाधीश के दर्शन होते कण कण में ज्योत जगाती है आशा की मन को सदा सवांरती चार धाम की आरती चार धाम की आरती चार धाम की आरती चार धाम की आरती संगीत............................१२३ हिमगिरी की ऊंचाई जैसी सागर की गहराई सी हिमगिरी की ऊंचाई जैसी सागर की गहराई सी प्रभु की महिमा सदा दिखाई देती रहती त्रिभुवन में प्रभु की महिमा सदा दिखाई देती रहती त्रिभुवन में मन में हो विश्वास अगर तो बेडा पार उतारती चार धाम की आरती चार धाम की आरती चार धाम की आरती चार धाम की आरती संगीत....