चरों धाम कि आरती
जिसने चरों धाम कर लिए, मुक्ति मिल गई जीवन में
दया धर्म उपकार खिल उठे, उसके मन के आँगन में
तीरथ कि महिमा गात है, भक्तों तुम्हे पुकारती
चरों धाम कि आरती, चरों धाम कि आरती-2
बद्रीनाथ बसे आँखों में, रामेश्वर उसके मन
में-2
जगन्नाथ द्वारिकाधीश के, दर्शन होते कण कण में -२
ज्योत जगाती है आशा कि, मन कि सदा सवांरती
चरों धाम कि आरती, चरों धाम कि आरती-2
हिमगिरी सी ऊंचाई जैसी, सागर कि गहराई सी-२
प्रभु कि महिमा सदा दिखाई,
देती रहती त्रिभुवन में-२
मन में हो विश्वास अगर तो, बेडा पार उतारती
चरों धाम कि आरती, चरों धाम कि आरती-2
चरों धाम हुए पावन, भगवान तुम्हारे चरणों से -२
एक हो गया शीश झुकाता, है मस्तक अभिनन्दन
में
तीरथ कि माटी दुनिया, श्रद्धा से सिर पर वारती
चरों धाम कि आरती, चरों धाम कि आरती-2
कोई नहीं पराया चारों, धामों का सन्देश यही-२
धर्म वही जो मन को जोड़े, संतो का उपदेश यही-२
आशाओं के फूल खिलाती, दीपक पथ पर वारती
चरों धाम कि आरती, चरों धाम कि आरती-2
जिसने चारों
तीरथ
चार धाम
जय श्री राम
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