किस धुन में बैठा बावरे, सोने वाले जाग जा संसार मुसाफिर खाना है
किस धुन में बैठा
बावरे , किस मद में मस्ताना है
सोने वाले जाग (भी)
जा संसार मुसाफिर खाना है -२ ओ
क्या लेकर आया था जग में, (फिर क्या लेकर
जायेगा -२)-२
मुट्ठी बांधे आया
जग में-२, फिर हाथ पसारे जाना है
सोने वाले जाग जा
संसार मुसाफिर खाना है -२ ओ
कोई आज गया कोई कल गया, (कोई चंद रोज में
जायेगा -२)-२
जिस घर से निकल
गया पंछी-२, उस घर में फिर नहीं आना है
सोने वाले जाग जा
संसार मुसाफिर खाना है -२ ओ
सुत मातु पिता बांधव नारी, (धन धाम यहीं रह
जायेगा-२)-२
सिकंदर ,अरस्तु,
गंगा बांसुरी
सुत मातु पिता
बांधव नारी, (धन धाम यहीं रह जायेगा-२)-२
यह चंद रोज की
यारी है-२, फिर अपना कोन बेगाना है
ओ सोने वाले जाग
जा संसार मुसाफिर खाना है -२
कहे भिक्षु यति हरी(प्रभु) नाम जपो, (फिर एसा
समय ना आएगा-२)-२
पाकर कंचन सी काय
को-२, फिर हाथ मीज पछताना है
ओ सोने वाले जाग
जा संसार मुसाफिर खाना है -२
किस धुन में बैठा
बावरे , किस मद में मस्ताना है
ओ सोने वाले जाग
(भी) जा संसार मुसाफिर खाना है -4
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें