बड़े भाग्य से ये मनुज तन मिल है
बड़े भाग्य
से ये, मनुज तन मिल है-२
गंवाते
गंवाते, उम्र पार कर दी-२
खाने कमाने में, आयु गवाई
-२
यूँ ही जिंदगी हमने, बेकार कर दी-२
अभी चेत जा वक़्त, जो भी बचा है-२
अरे काल
मुख से न, कोई बचा है-२
जरा सोच ले साथ-२,
ले जायेंगे क्या
यूँ ही जिंदगी हमने, है भार कर दी -२
है
सांसर सागर में, जीवन की नैया-२
है पतवार
सत्कर्म, सतगुरु खिवैया-२
ममता के चक्कर में-२, फँसकर हमने
जीवन की नैया, है मझदार
कर दी
बड़े भाग्य
से मनुज तन मिल है-२
गंवाते गंवाते उम्र पार कर दी-२
अगर चाहता है अपना, कल्याण प्राणी-२
तो ले मान सच्चे,
सतगुरु की वाणी-२
लगे अपना जीवन-२,
सतत्कर्म में अब
अभी तक तो यह उम्र,
बेकार कर दी-२
बड़े भाग्य
से मनुज तन मिल है-२
गंवाते
गंवाते उम्र पार कर दी-२
खाने कमाने में आयु गवाई
-२
यूँ ही जिंदगी हमने बेकार कर दी-२
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