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दाता एक राम भिखारी सारी दुनिया

दाता एक राम , भिखारी सारी दुनिया -2 राम एक देवता , ( पुजारी सारी दुनिया -2) दाता एक राम , भिखारी सारी दुनिया -2 दाता एक राम   द्वारे पे उसके जाके , कोई भी पुकारता -2 परम कृपा दे अपनी , भव से उबारता-२ ऐसे दीनानाथ पे-२, (बलिहारी सारी दुनिया-२) दाता एक राम भिखारी सारी दुनिया दाता एक राम दो दिन का जीवन प्राणी, (कर ले विचार तू-२)२ प्यारे प्रभु को अपने, मन में निहार तू-२ मन में निहार तू बिना हरी नाम के-२ (दुखिआरी सारी दुनिया-२) दाता एक राम भिखारी सारी दुनिया दाता एक राम   नाम का प्रकाश जब, अंदर जगायेगा-२ प्यारे श्री राम का तू, दर्शन पायेगा-२ ज्योति से जिसकी है-२, (उजयारी सारी दुनिया-२) दाता एक राम  

त्रिलोकपति दाता सुखधाम स्वीकारो मेरे प्रणाम

सुखवरन   प्रभु   नारायण   हे    दुःखहरण   प्रभु   नारायण   हे त्रिलोकपति   दाता   सुखधाम   स्वीकारो   मेरे   प्रणाम त्रिलोकपति   दाता   सुखधाम   स्वीकारो   मेरे   प्रणाम स्वीकारो   मेरे   प्रणाम प्रभु स्वीकारो   मेरे   प्रणाम   मन   वाणी   में   वो   शक्ति   कहाँ  ,  जो ,  महिमा   तुम्हरी   गान   करे हे   अगम   अगोचर   अविकारी ,  निर्लेप   हो, हर   शक्ति   से   परे हम   और   तो   कुछ   भी   जाने   ना ,  केवल   गाते   हैं   पावन   नाम स्वीकारो   मेरे   प्रणाम ,  स्वीकारो   मेरे   प्रणामम प्रभु   स्वीकारो   मेरे   प्रणाम आदि   मध्य   और   अंत   तुम्ही  ,  और   तुम्ही   आत्मअघारे   हो भगतों के   तुम   प्राण   प्रभु   इस ...

गुरु मेरी पूजा गुरु गोविन्द गुरु मेरा परब्रह्म गुरु भगवंत

गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद गुरु मेरा पारब्रह्म , गुरु भगवंत गुरु.............. गुरु...................-4 गुरु मेरा ज्ञान , हृदये धयान-२, गुरु गोपाल पुरख भगवान-२ गुरु.............. गुरु...................-4 गुरु बिन अवर नहीं मैं थाओ -२, अन दिन जपऊ , गुर गुर नाओ -२ गुरु.............. गुरु...................-4 गुरु मेरा देव अलख अभेव -२, सरब पूज्य , चरण गुरु सेव-२ गुरु.............. गुरु...................-4 गुरु की सरन, रहूँ कर जोर -२, गुरु बिना मैं, नाही होर गुरु.............. गुरु...................-4 गुरु बोहित, तारे भव पार -२, गुरु सेवा ते, यम छुटकार -२ गुरु.............. गुरु...................-4 गुरु पूरा पाईये, वड्ड भागी -२, गुरु की सेवा, दुःख ना लागी-२ गुरु.............. गुरु...................-4 गुरु का सबद, ना मेटे कोई -२, गुरु नानक, नानक हर सोए गुरु.............. गुरु...................-4 गुरु अन्धकार में मन्त्र उजारा -२, गुरु कै संग, सगल निस्तारा-२ गुरु.............. गुरु...................-4

मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ

मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ हे पावन परमेश्वर मेरे हे पावन परमेश्वर मेरे   मन ही मन शरमाऊँ मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ मैली चादर ओढ़ के कैसे तूने   मुझको जग में भेजा निर्मल देकर काया आकर के संसार में मैंने इसको दाग लगाया संगीत.....१२३ तूने   मुझको जग में भेजा निर्मल देकर काया आकर के संसार में मैंने इसको दाग लगाया जनम जनम की मैली चादर   कैसे दाग छुड़ाऊँ मैली चादर ओढ़ के कैसे मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ निर्मल   वाणी पाकर तुझसे नाम ना तेरा गाया नैन मूँदकर हे परमेश्वर कभी ना तुझको ध्याया संगीत.....१२३ निर्मल   वाणी पाकर तुझसे नाम ना तेरा गाया नैन मूँदकर हे परमेश्वर कभी ना तुझको ध्याया मन-वीणा की तारे टूटी अब क्या गीत सुनाऊँ मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तुम्हारे आऊँ मैली चादर ओढ़ के कैसे इन   पैरों से चलकर तेरे मंदिर कभी ना आया जहाँ जहाँ हो पूजा तेरी कभी ना शीश झुकाया संगीत.....१२३ इन   पैरों से चलकर तेरे मंदिर कभी ना आया जहाँ जहाँ हो पूजा तेरी कभी ना शीश झ...

चार दिनों की प्रीत जगत में चार दिनों के नाते हैं

पार्थ इस लोक का, कोई पदार्थ रे,संग तेरे परलोक न जाए पिछले जनम का, कोई नाता, अगले जनम में याद ना आये स्मिर्तियों का बोझा ढोने से, विश्मृति का वरदान बचाए हर जन्म के नाते याद रखे तो, प्राणी पागल ही हो जाए चार दिनों की प्रीत जगत में, चार दिनों के नाते हैं-२ पलकों के पर्दे पडते ही, सब नाते मिट जाते हैं जिनकी चिन्ता में तू जलता, वे ही चिता जलाते हैं-२ जिन पर रक्त, बहाये जलसम, जल में वही बहाते हैं-२ घर के स्वामी के जाने पर, घर की शुद्धि कराते हैं-२ पिंड दान कर प्रेत आत्मा से अपना पिंड छुडाते हैं-२ इन नातों के मोह में पडके, मुरख जन्म गवांते हैं -२ तोड़ इन नातों कि बेडी जो, कायर तुझे बनाते हैं -२   चौथे से चालीसवें दिन तक, हर एक रस्म निभाते हैं-२ म्रतक के लौटआने का कोई, जोखिम नही उठाते हैं-२ आदमी के साथ उसका खत्म किस्सा हो गया आग ठण्डी हो गई चर्चा भी ठण्डा हो गया चलता फिरता था जो कल तक, बनके वो तस्वीर आज लग गया दीवार पर मजबूर, कितना हो गया-२