बुधवार, 17 अगस्त 2022

बड़े भाग्य से ये मनुज तन मिल है

बड़े भाग्य से ये, मनुज तन मिल है-२

गंवाते गंवाते, उम्र पार कर दी-२

खाने कमाने में, आयु गवाई -२

यूँ ही जिंदगी हमने, बेकार कर दी-२ 

अभी चेत जा वक़्त, जो भी बचा है-२

अरे काल मुख से न, कोई बचा है-२

जरा सोच ले साथ-२, ले जायेंगे क्या

यूँ ही जिंदगी हमने, है भार कर दी -२ 

है सांसर सागर में, जीवन की नैया-२

है पतवार सत्कर्म, सतगुरु खिवैया-२

ममता के चक्कर में-२, फँसकर हमने

जीवन की नैया, है मझदार कर दी

बड़े भाग्य से मनुज तन मिल है-२

गंवाते गंवाते उम्र पार कर दी-२ 

अगर चाहता है अपना, कल्याण प्राणी-२

तो ले मान सच्चे, सतगुरु की वाणी-२

लगे अपना जीवन-२, सतत्कर्म में अब

अभी तक तो यह उम्र, बेकार कर दी-२

बड़े भाग्य से मनुज तन मिल है-२

गंवाते गंवाते उम्र पार कर दी-२

खाने कमाने में आयु गवाई -२

यूँ ही जिंदगी हमने बेकार कर दी-२

 

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